10+ Best Motivational Poem In Hindi | मोटिवेशनल कविता हिंदी में ?

आज हम इस पोस्ट में आपके लिए लेकर आए हैं, मोटिवेशनल कविता हिंदी में  – ( motivation kavita Hindi me ) आप भली बात ही जानते हैं, कि हमारे जीवन में कुछ हासिल करने के लिए हमेशा स्वयं को मोटिवेट रहना पड़ता है, कहीं बार हम मित्रों के साथ बैठते हैं, तो कुछ ऐसे भी मित्र होते हैं जो हमारे को डिमोटिवेट कर देते हैं, परंतु दोस्तों उनकी डिमोटिवेट बातों से हमारे को अपने लक्ष्य से हटाना नहीं है, अब आप अपने आप को मोटिवेट कैसे रख सकते हैं, इसके लिए इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए हैं, मोटिवेशनल कविता हिंदी में यह कविता आपकी बहुत ही मदद करेगी जब भी आप अपने लक्ष्य से इधर-उधर भटकते हैं तो आपको इन कविताओं को एक बार पढ़ लेना और आपका फॉकस वापस से अपने लक्ष्य पर चला जाएगा। इसलिए आज का यह पोस्ट बहुत ही खास होने वाला है।

सपने बुनना सीख लो – मोटिवेशनल कविता हिंदी में

बैठ जाओ सपनों के नाव में,

मौके की ना तलाश करो,

सपने बुनना सीख लो।

खुद ही थाम लो हाथों में पतवार,

माझी का ना इंतजार करो,

सपने बुनना सीख लो।

पलट सकती है नाव की तकदीर,

गोते खाना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो।

अब नदी के साथ बहना सीख लो,

डूबना नहीं, तैरना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो।

भंवर में फंसी सपनों की नाव,

अब पतवार चलाना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो।

खुद ही राह बनाना सीख लो,

अपने दम पर कुछ करना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो।

तेज नहीं तो धीरे चलना सीख लो,

भय के भ्रम से लड़ना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो।

कुछ पल भंवर से लड़ना सीख लो,

समंदर में विजय की

पताका लहराना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो।

मोटिवेशनल कविता हिंदी में –

तूफानों की ओर घुमा दो

नाविक निज पतवार

आज सिन्धु ने विष उगला है

लहरों का यौवन मचला है

आज हृदय में और सिन्धु में

साथ उठा है ज्वार

तूफानों की ओर घुमा दो

नाविक निज पतवार

लहरों के स्वर में कुछ बोलो

इस अंधड़ में साहस तोलो

कभी-कभी मिलता जीवन में

तूफानों का प्यार

तूफानों की ओर घुमा

दो नाविक निज पतवार

यह असीम, निज सीमा जाने

सागर भी तो यह पहचाने

मिट्टी के पुतले मानव ने

कभी न मानी हार

तूफानों की ओर घुमा

दो नाविक निज पतवार

सागर की अपनी क्षमता है

पर माँझी भी कब थकता है

जब तक साँसों में स्पन्दन है

उसका हाथ नहीं रुकता है

इसके ही बल पर कर डाले

सातों सागर पार

तूफानों की ओर घुमा दो

नाविक निज पतवार

~शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

अग्निपथ-मोटिवेशनल कविता हिंदी में

अग्निपथ

वृक्ष हों भले खड़े,

हों बड़े, हों घने,

एक पत्र छाँह भी

मांग मत! मांग मत! मांग मत!

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

तू न थकेगा कभी,

तू न थमेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी,

कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

यह महान दृश्य है,

देख रहा मनुष्य है,

अश्रु, स्वेद, रक्त से

लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

गिरना भी अच्छा है -मोटिवेशनल कविता हिंदी में

गिरना भी अच्छा है

“गिरना भी अच्छा है,

औकात का पता चलता है…

बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…

अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,

वो लोग सच्चे होते हैं,

मैंने झूठों को अक्सर

मुस्कुराते हुए देखा है…

सीख रहा हूँ मैं भी,

मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,

सुना है चेहरे पे…

किताबो से ज्यादा लिखा होता है…!

पुष्प की अभिलाषा-मोटिवेशनल कविता हिंदी में

पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के,

गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं प्रेमी-माला में,

बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव,

पर, हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के शिर पर,

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!

मुझे तोड़ लेना वनमाली!

उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पथ जाएँ वीर अनेक।

चित्त की सुनो हर बार-

चित्त की सुनो रे मनवा

चित्त की सुनो

बाहर घोर अंध्काल

संभल कर चलो …

राह् कई है, अनजानी सी

देख् पग धरो, रे मनवा

चित्त की सुनो…

अज्ञान- के कारे बादल

गरजे बरसें बिन कोई मौसम

आपने मन की लौ को जगा कर

रखना तू हर पल

रे मनवा ,चित्त की सुनो…

ऐसे चित्त का चित्त रमाये

ध्यान करे हरि का

भव्सागर पार हो जाए

कलयुग में

जगा कर रोम रोम और प्राण

रे मनवा ,

चित्त की सुनो हर बार

रुके न तू, झुके न तू-

धरा हिला, गगन गुंजा

नदी बहा, पवन चला

विजय तेरी, विजय तेरी

ज्योति सी जल, जला

भुजा-भुजा, फड़क-फड़क

रक्त में धड़क-धड़क

धनुष उठा, प्रहार कर

तू सबसे पहला वार कर

अग्नि सी धधक-धधक

हिरन सी सजग-सजग

सिंह सी दहाड़ कर

शंख सी पुकार कर

रुके न तू, थके न तू

झुके न तू, थमे न तू

सदा चले, थके न तू

रुके न तू, झुके न तू

हे वीर पुरुष-

हे वीर पुरुष, पुरुषार्थ करो

तुम अपना मान बढ़ाओ न …

अपनी इच्छा शक्ति के बल पर

उनको जवाब दे आओ न …

वे वीर पुरुष होते हीं नहीं

जो दूजों को तड़पाते हैं

वे वीर पुरुष होते सच्चे

जो दूजों का मान बढ़ाते हैं…

इतनी जल्दी थक जाओ नहीं

चलना तुमको अभी कोसों है

पांडव तो अब भी पाँच हीं हैं

पर कौरव अब भी सौ-सौ हैं…

ना खड़ा तू देख गलत को-

ना खड़ा तू देख गलत को

अब तो तू बवाल कर

चुप क्यों है तू

ना तो अपनी आवाज दबा

अब तो तू सवाल कर

ना मिले जवाब

तो खुद जवाब तलाश कर

क्यों दफन है सीने में तेरे आग

आज आग को भी

तू जलाकर राख कर

कमियों को ना गिन तू

ना उसका तू मलाल कर

कुछ तो अच्छा ढूंढ ले

ना मन को तू उदास कर

जो भी पास है तेरे

तू उससे ही कमाल कर

तू उठ कुछ करके दिखा

ना खुद को तू बेकार कर

खुद मिसाल बनकर

जग में तू प्रकाश कर

सोचता है क्या तू

तू वक्त ना खराब कर

जिंदगी जो है तो

जी के उसका नाम कर

रास्ते जो ना मिले

तो खुद की राह निर्माण कर

काल के कपाल पर

करके तांडव तू दिखा

दरिया जो दिखे आग का

प्रचंड अग्नि बन कर

तू उसे भी पार कर

 बबली निषाद

मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा शेर की जाने वाली मोटिवेशनल कविता हिंदी में Motivation kavita Hindi mein आपको जरूर अच्छी हो पसंद आई होगी, इन मोटिवेशनल कविता हिंदी में इनको अपने दोस्त के साथ या किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें।

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