Bhoot ki kahani in hindi, Dhoot story in hindi, Dayan ki kahani, Bhoot ki story
दोस्तों ऐसे मेरे कई सारे मित्र हैं, जो Bhoot ki kahaniyan पढ़ने का बहुत शौक रखते हैं, कहीं ऐसे भी लोग हैं, जो भूतों की कहानियां पढ़ने में डरते हैं, इतना ही नहीं वह फिल्में भी नहीं देखते हैं। क्योंकि हमको बहुत डर लगता है।
आज हमने आपके लिए कुछ Bhoot ki kahaniyan भूत की कहानियां लिखी है, यह बहुत डरावनी है, और इसके साथ मजेदार भी इतनी है, ध्यान से पढ़ना वरना आप भी डर सकते हैं।
माँ की ममता Darawani kahani
राजस्थान शहर का एक लड़का का और उसका नाम बंटी का और उम्र लगभग 35 वर्ष की थी, उसने अचानक से प्लान बनाया की अपने परिवार के साथ इस बार पिकनिक मनाने हिमाचल प्रदेश की तरफ चलेंगे, और अपने परिवार के साथ ही 8-10 दिन बिताएंगे। और वह अपने परिवार के साथ गाड़ी में बैठकर हिमाचल प्रदेश की तरफ निकल पड़े, शाम का समय होने वाला था, उन्होंने रास्ते में रुक कर एक होटल पर खाना खाया और लगभग शाम के 7:00 बज चुके थे, फिर वह, वहां से गाड़ी में बैठकर रवाना हुए , अब राह जंगल की चल रही थी, और रास्ते में चलते-चलते रात के 2:00 बज रहे थे।
और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों को पार कर रहे थे, और सड़क बिल्कुल सुनसान पड़ी थी, रास्ते में एक भी गाड़ी नहीं आ रही थी, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, कुछ परिवार के लोगों को नींद आ रही थी, पर मैं सोया नहीं था अचानक से मुझे रास्ते में एक औरत दिखाई पड़ी उसे देखने में मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगा क्योंकि वह बहुत ही घबराई हुई थी, और उसे मदद की जरूरत थी, इसकी साड़ी का रंग बिल्कुल सफेद कलर का था, और वह हमारी गाड़ी के आगे हाथ हिला रही थी, और रुकने के इशारे जोर-जोर से कर रही थी।
मैंने अपनी मां से कहा कि इस महिला को मदद की जरूरत पर माँ ने मना कर दिया कि बेटा गाड़ी नहीं रोकना यह औरत लुटेरी भी हो सकती या फिर कोई बुरा साया हो, यह बात करते-करते गाड़ी उस औरत के पास पहुंच गई, औरत बहुत ही जोर जोर से गाड़ी के दरवाजे को खोलने की कोशिश कर रही थी, इस औरत को देख कर मुझे लग रहा था, कि यह बहुत भारी मुसीबत में फंसी हुई है,
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मेरी मां ने मुझसे कहा बेटा गाड़ी का दरवाजा बिल्कुल भी मत खोलना लेकिन मैं नहीं मानने वाला क्योंकि मुझे लग रहा था, कि यह औरत अच्छे घर से हैं, शरीफ दिखाई दे रही है, और यह जोर जोर से रो रही थी।
कम से कम एक बार बात तो करके देखे और मैंने गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और मेने पूछा क्या हुआ, और मैंने उससे कहा कि आपको इधर कहां तक जाना है, आप इस घने जंगल में अकेले और क्यों रो रहे हो, तब औरत ने मुझसे कहा कि मेरी गाड़ी इधर खाई में गिर गई है, और मेरी गाड़ी के पीछे वाली सीट पर मेरा छोटा बेटा उलझ गया है।
और आप मेरी मदद जल्द से जल्द करें, इतनी बात सुनकर बंटी तुरंत खाई की तरफ गया, और बंटी के पीछे पीछे उसका परिवार के कुछ सदस्य भी पीछे पीछे गए, जब वह गाड़ी के पास पहुंचा तो गाड़ी का दरवाजा खोलने लगा पर खुला ही नहीं, उसने एक पत्थर उठाकर गाड़ी का कांच थोड़ा और उस बच्चे को बाहर निकाला और बच्चा चीख चीख कर रो रहा था, मैंने बच्चे से कहा बेटा रो मत तुम्हारी मां मेरे पीछे हैं.
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अब आप अपनी मम्मी के पास जाओ, वह लड़का मां मां करे जा रहा था, फिर मैंने अपनी गोद में उठा लिया, अचानक से मेरी नजर गाड़ी के आगे वाली सीट पर गई तो मैंने वहां का नजारा देखकर दंग रह गया, शायद यह नजारा मैंने मेरी जिंदगी का पहला था, मेरे रोम रोम खड़े हो गई क्योंकि जब मैंने वहां देखा तो आगे वाली सीट पर एक औरत बेटी हुई थी, जब मैंने गौर से देखा तो उसका सर टूट रहा था और खून ही खून बह रहा था, थोड़ा पास गया तो देखा वह मर चुकी थी, फिर मैंने देखा कि यह औरत तो वही है, जो मेरी गाड़ी के सामने आकर मदद मांग रही थी, यह यहां कैसे, फिर मैंने इधर उधर देखा तो वह औरत दिखाई नहीं दे रही थी, यह दृश्य देखकर मेरे होश उड़ गए, तभी मेरा परिवार मेरे पास आ गया और यह दृश्य हमारे सारे परिवार में देखा फिर मेरे समझ में आया कि यह औरत पहले ही मर चुकी थी, और इसने अपने बच्चे को बचाने के लिए मदद मांगी क्योंकि इस घने जंगल में इसको मदद करने के लिए कोई नहीं मिला होगा।
हमने बहुत जोर जोर से आवाज भी लगाए पर वह औरत दोबारा नहीं आए वह आएगी भी कहां से क्योंकि वह एक आत्मा थी उसे मदद की जरूरत थी, तो हमने उसकी मदद की उसके बच्चे को बचाया पर अब इस बच्चे को किसके लिए दे यह सोचने वाली बात थी, तो हम इस बच्चे को घर पर लाए, और यह बच्चा हमारे साथ रहने लगा इस बच्चे मां न तो हमें दिखाई दि नहीं उसने कभी हमें परेशान किया।
Darawani kahani भूतिया रास्ता
दोस्तों में मुंबई की फैक्ट्री में साफ-सफाई व कूड़ा कचरा देखरेख का काम करता था मेरे घर से फैक्ट्री लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर थी, और मैं यह सफर अपनी साइकिल से कर रहा था रोज का आना जाना लगा रहता था, एक दिन जब मैं देर रात से अपनी फैक्ट्री से घर लौट रहा था, तो मुझे रास्ते में एक लगभग 21-22 वर्ष की लड़की दिखाई दी जब मैंने उसकी तरफ देखा तो वह मुझे जोर-जोर से घूरने लगी मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया मैं आगे निकल गया।
जब मैं दूसरे दिन भी फैक्ट्री से आ रहा था, तभी वह लड़की मुझे उसी स्थान पर दिखाई दी और उसके चेहरे की तरफ जब मैंने देखा तो वह मुझे घूरने लगी मैंने उसकी तरफ दोबारा देखने की कोशिश नहीं की और मैं तुरंत अपनी साइकिल से घर की ओर निकल गया, क्योंकि मैं उस लड़की से कुछ भी नहीं बोला क्योंकि मुझे उसका डर लगने लगा था।
1 दिन की बात है जब मैं लगभग 9-10 बजे फैक्ट्री से काम करके निकल रहा था तो वह लड़की वहां पर नहीं थी, मैंने सोचा कि वह लड़की आज क्यों नहीं है, रोज मिलती थी, मैं अपने घर की ओर निकल पड़ा, लगभग 2 हफ्ते बाद मेरे घर पर एक डाक चिट्ठी आई मैंने सोचा यह उसी लड़की की हो सकती है, जब मैंने उसे खोल कर देखा तो उसमें उस लड़की का नाम अंजलि लिखा हुआ था, उसमें एक पासवर्ड साइज का फोटो भी मिला, जो उसी लड़की की एक छोटी तस्वीर थी, मैं यह देख कर चौक गया कि उस लड़की को मेरा पता कैसे मालूम है।
जब मैंने उस छुट्टी को पढ़ा तो उसमें लिखा था जब तुम फैक्ट्री से काम करके आओ तो तुम जहां पर मैं तुम्हें मिलती थी, वहां पर मेरा इंतजार करना, जब मैं दूसरे दिन फैक्ट्री से आ रहा था, तो मैं उसी जगह पर पहुंच गया लगभग में 2 से 3 घंटे इंतजार किया पर वहां पर कोई नहीं आया और मैं अपने घर की तरफ निकल गया, तभी मुझे अचानक से याद आया कि उस लड़की का पता शायद उस चिट्ठी में हो फिर से मैंने उस चिट्ठी को खोलकर पड़ा तो उसमें उसके घर का पता लिख रहा था।
और सुबह के समय पर मैं जब फैक्ट्री की ओर जा रहा था तो मैंने सोचा कि इस पते पर चल कर तो देखते हैं, कौन मिलता है, तो मैं उसके पत्ते के अनुसार उस लड़की के घर पर गया।
जैसे ही मैंने उस पते के अनुसार दरवाजा खोलने को बोला तो वहां पर एक आदमी आया और उसने कहा क्या हुआ कौन हो आप मैंने कहा मुझे अंजलि से मिलना है, उस आदमी ने कहा कि मैं उसका पिता हूं, और उसको मरे हुए लगभग 5 महीने हो चुके हैं, यह बात सुनकर मैं घबरा गया मेरे हाथ पैर कांपने लगे, मैं बिल्कुल सोच में पड़ गया फिर जो वह लड़की रास्ते में मिलती थी, वह कौन है और इसी लड़की ने मुझे चिट्ठी भी भेजी, वह कौन होगी ? मैंने सोचा कि वह उसकी आत्मा है।
यह देखकर प्रीति के पापा ने कहा आप अंदर आकर देख सकते हैं, उसकी तस्वीर पर माला भी पड़ी है, यह देखकर मैं वहां से तुरंत अपने घर की ओर पहुंच गया और उस छुट्टी को मैंने जला डाला तभी मुझे एहसास हुआ कि अनजान लोगों से कभी भी मिलना वह बातचीत करना बंद कर दिया मैं अपने हिसाब से रहने लगा।
भूतिया ढाबा Darawani kahaniya
आज भी मुझे वह पुरानी बात याद है, जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था, हमारे टीचरों ने हमें 12वीं के अंतिम दिनों में बाहर पिकनिक पर हमें एक गढ़ में ले जाने की चर्चा की और सब ने इस बात को मानी हमारे साथ हमारी क्लास के सभी लड़के वह लड़कियां थी।
जिसमें हम सबसे पीछे वाली सीटों में, मैं और मेरे दोस्त बैठे थे, और हम लोग गाने गा रहे थे ,मस्ती में झूम रहे थे, क्योंकि पिकनिक पर जा रहे थे, इसलिए हमें बहुत उत्साह था कि खूब मजे करेंगे, तभी अचानक से बस के टायर फूटने की आवाज आई मुझे लगा कि दूर फटा होगा पर जब बस इधर-उधर फिल्में ढूंढने लगी तो पता लगा कि हमारी बस का ही टायर फूट गया। जब हम बाहर उतरे तो चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखाई दे रहा था, समय की बात करें तो लगभग 12 : 30 मिनट हो रहा था, कुछ बच्चे नींद में सो रहे थे, ड्राइवर ने आकर कहा मैम सब बच्चों को नीचे उतार लो बस का टायर फट गया है, और इसे चेंज करने के लिए लगभग एक से डेढ़ घंटा लग सकता है, ड्राइवर ने यह कहा कि थोड़ी ही दूर चाय का ढाबा है, आप सभी लोग वहां पर चलो मैं टायर को बदल कर आता हूं, हम लोग पैदल पैदल चलकर ढाबे तक आए, मैंने जब वहां का ढाबा देखा तो वहां पर एक बूढ़ा व्यक्ति चाय बना रहा था, हमने बूढ़े व्यक्ति से चाय आर्डर की और चाय पी रहे थे, जैसे ही अचानक मेरी नजर ढाबे के ऊपर वाले सीकर पर गई तंग रह गया क्योंकि वहां पर मैंने ऐसा दृश्य देखा जिसे देखकर मैं डर सा गया।
क्योंकि मैंने वहां पर देखा कि एक औरत सफेद रंग की साड़ी और उसके बाल बड़े बड़े और और सारे बाल बिखेर रखे थे, जैसे ही मैंने चेहरे की तरफ देखा तो लाल कलर की लिपस्टिक लगा रखी थी, और जोर जोर से हंस रही थी, उसे देखकर मैंने डर के मारे आंखें नीचे कर ली।
तभी वहां पर अचानक से किसी की चिल्लाने की आवाज सुनाई दी यह आवाज सुनकर बूढ़ा व्यक्ति बोला कि आप यहीं बैठो मैं देख कर आता हूं, और वह बूढ़ा व्यक्ति पीछे से जंगल की तरफ निकल गया, मैं पहले से ही डरा हुआ था, मैं इतना डर गया था, कि आज हम सब मरने वाले हैं, हम सभी में यह चर्चा हुई कि आज तो हम सभी एक साथ मरने वाले हैं, हमारे सब साथियों में चहल-पहल शांति हो गई, बस का इंतजार करते करते 3:00 बज गई कि अब बस वाला आएगा आएगा, लेकिन कुछ देर बाद बूढ़ा व्यक्ति जंगल से आता हुआ, दिखाई दिया, हमें लगा कि अब डरने वाली बात नहीं है, क्योंकि ढाबे वाला आ चुका है, पर उसने हमसे ऐसा कहा उसे सुनकर तो हम और ज्यादा डर गए, उसने ऐसा कहा कि आपने जो अभी आवाज सुनी थी, उस आवाज को यहीं पर भूल जाना वरना तुम जिंदगी भर रोओगे, जैसे ही उसने यह बात बोली इतने में ही हमारी बस आ गई, हम तुरंत दौड़कर बस की तरफ गए और उसमें बैठ गए, मैं मन ही मन में हनुमान चालीसा का जाप करने लगा, हमारी मैम और टीचर्स ने बोला कि बच्चों बातचीत नहीं करें जब तक सुबह ना हो, और हम जब 2 हफ्ते बाद पिकनिक मना कर लौट कर आए तो, हमारी यह घटना हमने हमारी स्कूल में सब बच्चों को सुना दी।
जब भी हम सब बच्चे पिकनिक की बात करते है तो यह घटना याद आ जाती हैं, कि हम उस दिन बाल-बाल बचे थे, मरते-मरते बचे थे, और आज भी हमें पिकनिक के नाम से डर लगता है, मैं तो भगवान से यही प्रार्थना करता हूं. कि ऐसा हादसा किसी के साथ में ना हो भगवान हरदम सबकी रक्षा करें।
अंतिम शब्द :- Bhoot ki kahani in hindi 2023
आज हमें आपके लिए Bhoot ki kahaniyan लिखी है, यह कहानी बिल्कुल काल्पनिक है, यह हमने केवल मनोरंजन के लिए लिखी है, किसी भी व्यक्ति और स्थान का कोई संबंध नहीं है, आप इसे अपने दिमाग में ना लें मनोरंजन करके आगे बढ़े।
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