Heart Touching Desh Bhakti Poem in hindi | देश भक्ति कविता

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Heart Touching Desh Bhakti Poem in hindi   देश भक्ति कविता

Heart Touching Desh Bhakti Poem in hindi |  देश भक्ति कविता 

लाल रक्त से धरा नहाई,

श्वेत नभ पर लालिमा छायी,

आजादी के नव उद्घोष पे,

सबने वीरो की गाथा गायी,

गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,

ध्वनि चारो और है छायी,

भगत , राजगुरु और , सुखदेव की

क़ुरबानी से आँखे भर आई ||

ऐ भारत माता तुझसे अनोखी,

और अद्भुत माँ न हमने पाय ,

हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,

एक एक बूँद समायी .

माथे पर है बांधे कफ़न ,

और तेरी रक्षा की कसम है खायी,

सरहद पे खड़े रहकर,

आजादी की रीत निभाई.

2

जब भारत आज़ाद हुआ था|

आजादी का राज हुआ था||

वीरों ने क़ुरबानी दी थी|

तब भारत आज़ाद हुआ था||

भगत सिंह ने फांसी ली थी|

इंदिरा का जनाज़ा उठा था||

इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी

तब खून की आँधी बहती थी||

वतन का ज़ज्बा ऐसा था|

जो सबसे लड़ता जा रहा था||

लड़ते लड़ते जाने गयी थी|

तब भारत आज़ाद हुआ था||

फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था|

इस देश के रिश्तों को तोडा था||

फिर भारत दो भागो में बाटा था|

एक हिस्सा हिन्दुस्तान था||

दूसरा पाकिस्तान कहलाया था|

सरहद नाम की रेखा खींची थी||

जिसे कोई पार ना कर पाया था|

ना जाने कितनी माये रोइ थी,

ना जाने कितने बच्चे भूखे सोए थे,

हम सब ने साथ रहकर

एक ऐसा समय भी काटा था||

विरो ने क़ुरबानी दी थी

तब भारत आज़ाद हुआ था||

3

बच्चा-बच्चा बन जाए सैनिक, 

गर बुरी नजर दुश्मन डाले

हस्ती उसकी मिलाएं खाक में, 

करे कभी जो हमला वे

भाईचारा रखें परस्पर, 

अमन चैन का नारा हो

सद्भावना, शांति रखें दिलों में, 

जाति, धर्म का न बंटवारा..

बनें पहिए प्रगति के रथ के,

सबसे आगे बढ़ते जाएं

कर दें रौशन नाम जहां में, 

देश का अपने मान बढ़ाएं

आजादी की वर्षगांठ की ,

छटा निराली बढ़ती जाए

खुशहाली के फूल हों बिखरे,

खुश्बू से चमन महकाएं

आओ आज़ादी दिवस मनाएं, 

आओ आज़ादी दिवस मनाएं

Desh Bhakti Kavita

4

आज तिरंगा लहराता है 

अपनी पूरी शान से।

हमें मिली आज़ादी वीर 

शहीदों के बलिदान से।।

आज़ादी के लिए हमारी

 लंबी चली लड़ाई थी।

लाखों लोगों ने प्राणों से 

कीमत बड़ी चुकाई थी।।

व्यापारी बनकर आए और 

छल से हम पर राज किया।

हमको आपस में लड़वाने की 

नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, 

अपने स्वाभिमान से।

हमें मिली आज़ादी वीर 

शहीदों के बलिदान से।।

गांधी, तिलक, सुभाष, 

जवाहर का प्यारा यह देश है।

जियो और जीने दो का 

सबको देता संदेश है।।

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय

 जिसके उत्तर द्वार पर।

हिंद महासागर दक्षिण में 

इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ 

वीरों के यशगान से।

हमें मिली आज़ादी वीर 

शहीदों के बलिदान से।।

हमें हमारी मातृभूमि से 

इतना मिला दुलार है।

उसके आँचल की छैयाँ से 

छोटा ये संसार है।।

हम न कभी हिंसा के आगे 

अपना शीश झुकाएँगे।

सच पूछो तो पूरा विश्व 

हमारा ही परिवार है।।

विश्वशांति की चली हवाएँ 

अपने हिंदुस्तान से।

हमें मिली आज़ादी वीर 

शहीदों के बलिदान से।।

देश भक्ति कविता 

5

देश हमारा कितना प्यारा

बुश की भी आँखों का तारा

डण्डा उनका मूँछें अपनी

कैसा अच्छा मिला सहारा

मूँछें ऊँची रहें हमारी

डण्डा ऊँचा रहे तुम्हारा

ना फिर कोई आँख उठाए

ना फिर कोई आफ़त आए

बम से अपने बच्चे खेलें

दुनिया को हाथों में ले लें

भूख ग़रीबी और बेकारी

ख़ाली -पीली बातें सारी

देश-वेश और जनता-वनता

इन सबसे कुछ काम न बनता

ज्यों-ज्यों बिजिनिस को चमकाएँ

महाशक्ति हम बनते जाएँ

हम ही क्यों अमरीका जाएँ

अमरीका को भारत लाएँ

झुमका ,घुँघटा,कंगना,बिन्दिया

नबर वन हो अपना इण्डिया

हाई लिविंग एण्ड सिम्पिल थिंकिंग

यही है अपना मोटो डार्लिंग

मुसलमान को दूर भगाएँ

कम्युनिस्ट से छुट्टी पाएँ

अच्छे हिन्दू बस बच जाएँ

बाक़ी सारे भाड़ में जाएँ ।

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6

जय जय प्यारा, जग से न्यारा,

शोभित सारा, देश हमारा,

जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा

जग-सौभाग्य सुदेश!

जय जय प्यारा भारत देश।

प्यारा देश, जय देशेश,

जय अशेष, सदस्य विशेष,

जहाँ न संभव अध का लेश,

केवल पुण्य प्रवेश।

जय जय प्यारा भारत देश।

स्वर्गिक शीश-फूल पृथ्वी का,

प्रेम मूल, प्रिय लोकत्रयी का,

सुललित प्रकृति नटी का टीका

ज्यों निशि का राकेश।

जय जय प्यारा भारत देश।

जय जय शुभ्र हिमाचल शृंगा

कलरव-निरत कलोलिनी गंगा

भानु प्रताप-चमत्कृत अंगा,

तेज पुंज तपवेश।

जय जय प्यारा भारत देश।

जगमें कोटि-कोटि जुग जीवें,

जीवन-सुलभ अमी-रस पीवे,

सुखद वितान सुकृत का सीवे,

रहे स्वतंत्र हमेश

जय जय प्यारा भारत देश।

7

क्रोधित चम्बल

खिल-खिल हँसती है,

बाँधों की बाहों में

अलबेली-सी

अपने को कसती है !

लो हिन्द महासागर से

बादल घिर आया,

धानी साड़ी पहन

धरा ने आँचल लहराया !

जीवन के बीज नये

अब बोता भारत है !

मानवता के हित में

रत होता भारत है !

Heart Touching Desh Bhakti Poem in hindi 

8

इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,

हमें तोहमत लगाते हैं, 

जो हम फ़रियाद करते हैं।

कभी आज़ाद करते हैं, 

कभी बेदाद करते हैं।

मगर इस पर भी हम सौ जी 

से उनको याद करते हैं।

असीराने-क़फ़स से काश, 

यह सैयाद कह देता,

रहो आज़ाद होकर, 

हम तुम्हें आज़ाद करते हैं।

रहा करता है अहले-ग़म को 

क्या-क्या इंतज़ार इसका,

कि देखें वो दिले-नाशाद 

को कब शाद करते हैं।

यह कह-कहकर बसर की, 

उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त मंे,

वो अब आज़ाद करते हैं, 

वो अब आज़ाद करते हैं।

सितम ऐसा नहीं देखा, 

जफ़ा ऐसी नहीं देखी,

वो चुप रहने को कहते हैं, 

जो हम फ़रियाद करते हैं।

यह बात अच्छी नहीं होती, 

यह बात अच्छी नहीं करते,

हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?

कोई बिस्मिल बनाता है, 

जो मक़तल में हमंे ‘बिस्मिल’,

तो हम डरकर दबी 

आवाज़ से फ़रियाद करते हैं।

चिर प्रणम्य यह पुष्य अहन, 

जय गाओ सुरगण,

आज अवतरित हुई चेतना भू पर नूतन !

नव भारत, फिर चीर युगों का तिमिर-आवरण,

तरुण अरुण-सा उदित हुआ परिदीप्त कर भुवन !

सभ्य हुआ अब विश्व, 

सभ्य धरणी का जीवन,

आज खुले भारत के 

संग भू के जड़-बंधन !

शान्त हुआ अब युग-युग का भौतिक संघर्षण,

मुक्त चेतना भारत की यह करती घोषण !

आम्र-मौर लाओ हे ,

कदली स्तम्भ बनाओ,

पावन गंगा जल भर के 

बंदनवार बँधाओ ,

जय भारत गाओ, 

स्वतन्त्र भारत गाओ !

उन्नत लगता चन्द्र कला स्मित आज हिमाँचल,

चिर समाधि से जाग 

उठे हों शम्भु तपोज्वल !

लहर-लहर पर इन्द्रधनुष ध्वज फहरा चंचल

जय निनाद करता, उठ सागर, 

सुख से विह्वल !

धन्य आज का मुक्ति-दिवस गाओ जन-मंगल,

भारत लक्ष्मी से शोभित फिर भारत शतदल !

तुमुल जयध्वनि करो महात्मा गान्धी की जय,

नव भारत के सुज्ञ सारथी वह नि:संशय !

राष्ट्र-नायकों का हे, 

पुन: करो अभिवादन,

जीर्ण जाति में भरा जिन्होंने नूतन जीवन !

स्वर्ण-शस्य बाँधो भू वेणी में युवती जन,

बनो वज्र प्राचीर राष्ट्र की, 

वीर युवगण!

लोह-संगठित बने लोक भारत का जीवन,

हों शिक्षित सम्पन्न क्षुधातुर नग्न-भग्न जन!

मुक्ति नहीं पलती दृग-जल से हो अभिसिंचित,

संयम तप के रक्त-स्वेद से होती पोषित!

मुक्ति माँगती कर्म वचन मन प्राण समर्पण,

वृद्ध राष्ट्र को, वीर युवकगण, 

दो निज यौवन!

Heart Touching Poem

9

संघर्षों की ज्वाला में

हँस-हँस,

नव-निर्माणों के गीत

उमंगों के तारों पर

जन-जन गाता है,

भारत अपने सपनों को

सत्य बनाता है !

मज़बूत इरादों को लेकर

श्रम-रत हैं नर-नारी,

उगलेगा फ़ौलाद भिलाई

झूमेगी क्यारी-क्यारी !

बदला कण-कण भारत का,

बदला जीवन भारत का !

भागे मूक उदासी के साये

उल्लासों के सूरज चमके हैं,

युग-युग के त्रास्त सताये

मुरझाये मुखड़े दमके हैं !

दुर्भाग्य दफ़न अब होता है,

उन्मुक्त गगन अब होता है !

कलियाँ खिलने को तरसायीं जो,

गदराई अमराई में

भोली-भोली कोयल

मन के गीत न गा पायी जो,

अब तो

आँगन-आँगन कैसा मौसम आया !

कलियाँ नाचीं,

कोयल ने मन-भावन गायन गाया !

जीवन में अभिनव लहरें हैं,

चंदन से बुद्बुद् छहरे हैं !

क्रोधित चम्बल

खिल-खिल हँसती है,

बाँधों की बाहों में

अलबेली-सी

अपने को कसती है !

लो हिन्द महासागर से

बादल घिर आया,

धानी साड़ी पहन

धरा ने आँचल लहराया !

जीवन के बीज नये

अब बोता भारत है !

मानवता के हित में

रत होता भारत है !

3

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला,

प्रेम सुधा सरसाने वाला

वीरों को हरषाने वाला

मातृभूमि का तन–मन सारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,

लखकर जोश बढ़े क्षण–क्षण में,

काँपे शत्रु देखकर मन में,

मिट जावे भय संकट सारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इस झंडे के नीचे निर्भय,

हो स्वराज जनता का निश्चय,

बोलो भारत माता की जय,

स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

आओ प्यारे वीरों आओ,

देश–जाति पर बलि–बलि जाओ,

एक साथ सब मिलकर गाओ,

प्यारा भारत देश हमारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इसकी शान न जाने पावे,

चाहे जान भले ही जावे,

विश्व–विजय करके दिखलावे,

तब होवे प्रण–पूर्ण हमारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

10

हम तो आज़ाद हुए लड़कर पर

आज़ादी के बाद भी लड़ रहे है

पहले अंग्रेजो से लड़े थे

अब अपनों से लड़ रहे है

आज़ादी से पहले कितने

ख्वाब आँखों में संजो रखे थे

अब आजादी के बाद वो

ख्वाब ,ख्वाब ही रह गए है

अब तो अंग्रेज़ी राज और

इस राज में फर्क न लगे

पहले की वह बद स्थिति

अब बदतर हो गई है

11

अरुण यह मधुमय देश हमारा।

जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को

मिलता एक सहारा।

सरस तामरस गर्भ विभा पर

नाच रही तरुशिखा मनोहर।

छिटका जीवन हरियाली पर

मंगल कुंकुम सारा।।

लघु सुरधनु से पंख पसारे

शीतल मलय समीर सहारे।

उड़ते खग जिस ओर मुँह किए

समझ नीड़ निज प्यारा।।

बरसाती आँखों के बादल

बनते जहाँ भरे करुणा जल।

लहरें टकरातीं अनंत की

पाकर जहाँ किनारा।।

हेम कुंभ ले उषा सवेरे

भरती ढुलकाती सुख मेरे।

मदिर ऊँघते रहते जब

जग कर रजनी भर तारा।।

12

लाल रक्त से धरा नहाई,

श्वेत नभ पर लालिमा छायी,

आजादी के नव उद्घोष पे,

सबने वीरो की गाथा गायी,

गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,

ध्वनि चारो और है छायी,

भगत , राजगुरु और , सुखदेव की

क़ुरबानी से आँखे भर आई,

ऐ भारत माता तुझसे अनोखी

और अद्भुत माँ न हमने पाय ,

हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,

एक एक बूँद समायी

माथे पर है बांधे कफ़न

और तेरी रक्षा की कसम है खायी,

सरहद पे खड़े रहकर

आजादी की रीत निभाई !

अंतिम शब्द :-

हार्ट टचिंग देशभक्त पोयम इन हिंदीheart touching Desh bhakti poem in Hindi आज हम आपके लिए इस लेख में बताया है, हार्ट टचिंग देशभक्त पोयम यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और आगे भी सोशल मीडिया पर भेजें।

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