माँ पर कविता हिंदी में short | Poem on Mother in hindi short

आज का हमारा यह पोस्ट बहुत ही खास होने वाला है, क्योंकि हम आपके लिए मां पर कविता हिंदी में लेकर आए हैं, और आपको भली-भांति जानते हैं मां भगवान का रूप होती है, क्योंकि इस संसार में मां के बिना कुछ भी नहीं है, और मां की ममता तो आप जानते ही होंगे लोग तो वह भाग्यशाली होते हैं, जिनकी मां उनके पास है, मां की हमेशा कदर करना चाहिए मां का कभी दिल दुखाना नहीं चाहिए क्योंकि मां अपने बच्चों को पहले खिलाती और खुद भूखी रहती हैं, मिल जाए तो खा लेती है, वरना भूखी सो जाती है, मां के ऊपर विद्वान कवियों द्वारा लिखित कविता हम आपके बीच में शेयर कर रहे हैं, जो आपको बेहद ही पसंद आने वाली है।

माँ पर कविता हिंदी में short

घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरों पर खड़ी हुई,
तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ी हुई,
काला-टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है,
मैं ही मैं हूँ हर जगह,
माँ प्यार ये तेरा कैसा है?
सीधी-साधी, भोली-भाली,
मैं ही सबसे अच्छी हूँ,
कितनी भी हो जाऊ बड़ी,

“माँ!” मैं आज भी तेरी बच्ची हूँ..

माँ पर कविता हिंदी में short

मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।

प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।

दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।

माँ पर कविता हिंदी में short

प्यारी प्यारी मेरी माँ
सारे जग से न्यारी माँ…

लोरी रोज सुनाती है,
थपकी दे सुलाती है….

जब उतरे आगन में धुप,
प्यार से मुझे जगाती है….

देती चीजे सारी माँ,
प्यारी प्यारी मेरी माँ….

ऊँगली पकड़ चलाती है,
सुबह-शाम घुमाती है….

ममता भरे हुए हातो से,
खाना रोज खिलाती है….

देवी जैसी मेरी माँ,
सारी जग से न्यारी माँ….

प्यारी प्यारी मरी माँ
प्यारी प्यारी मेरी माँ…

माँ पर कविता हिंदी में short

क्या सीरत क्या सूरत थी
माँ ममता की मूरत थी

पाँव छुए और काम बने
अम्मा एक महूरत थी

बस्ती भर के दुख सुख में
एक अहम ज़रूरत थी

सच कहते हैं माँ हमको
तेरी बहुत ज़रूरत थी

माँ पर कविता हिंदी में short

चूल्हे की
जलती रोटी सी
तेज आँच में जलती माँ!
भीतर-भीतर
बलके फिर भी
बाहर नहीं उबलती माँ!

धागे-धागे
यादें बुनती,
खुद को
नई रुई सा धुनती,
दिन भर
तनी ताँत सी बजती
घर-आँगन में चलती माँ!

सिर पर
रखे हुए पूरा घर
अपनी-
भूख-प्यास से ऊपर,
घर को
नया जन्म देने में
धीरे-धीरे गलती माँ!

फटी-पुरानी
मैली धोती,
साँस-साँस में
खुशबू बोती,
धूप-छाँह में
बनी एक सी
चेहरा नहीं बदलती माँ!

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