छोटी सी कविता हिंदी में | Small Poem in Hindi

आज के इस लेख में हम आपके बीच में शेयर कर रहे हैं, छोटी सी कविता हिंदी में यह कविताएं आपको बेहद पसंद आने वाली है, क्योंकि हमने इनको ढूंढ ढूंढ कर आपके लिए लेकर आए हैं, यह कविताएं बहुत ही कम शब्दों में लिखी गई है, विद्वान कवियों द्वारा और उनके अर्थ ऐसे निकलते हैं, जो कभी आप सोच नहीं सकती क्योंकि यह कविता आपको बहुत कुछ सीख कर जाने वाले हैं, इसलिए इन कविताओं को आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

छोटी सी कविता हिंदी में | Small Poem in Hindi

छोटी सी कविता हिंदी में | Small Poem in Hindi

हैं मायूस ना जाने किससे

हैं मायूस ना जाने किससे

सावन बरस ना पाए,

बूँद बरसे तो जरा

फिरसे हरियाली आये।

गर्म तपती धूप से सबको

राहत सी आ जाए,

सुबह की पहली धूप में फिरसे

शबनम मोती बन जाए।

दे सुकून हम को बड़ा

जब अंबर से तू आये,

बह जाए कभी नाली में

कभी नदी बन जाए।

फैलाती है धरती पर

मिट्टी की सौंधी खुशबू,

भीनी-भीनी यह खुशबु

सबके मन को भाये।

खिलती थी तेरे छूने से

अब वो लता घबराए,

गर्म तपती धूप में

सभी रहीं मुरझाए।

हैं मायूस ना जाने किससे

सावन बरस ना पाए,

बूँद बरसे तो जरा

फिरसे हरियाली आये।

हम न रहेंगे

हम न रहेंगे

तब भी तो यह खेत रहेंगे,

इन खेतों पर घन लहराते

शेष रहेंगे,

जीवन देते

प्यास बुझाते

माटी को मदमस्त बनाते

श्याम बदरिया के

लहराते केश रहेंगे।

हम न रहेंगे

तब भी तो रतिरंग रहेंगे,

लाल कमल के साथ

पुलकते भृंग रहेंगे,

मधु के दानी

मोद मनाते

भूतल को रससिक्त बनाते

लाल चुनरिया में लहराते

अंग रहेंगे।

माँ से प्यारी दादी माँ

माँ से प्यारी दादी माँ,

घर की मुखिया दादी माँ।

बाहर से झगड़ा कर आते,

तब गोद में छुपाती दादी माँ।

मम्मी जब पीटने आती,

तब बचाती दादी माँ।

अपने हिस्से की चीजें,

हमें खिलाती दादी माँ।

रात को बिस्तर में बिठाकर,

कहानी सुनाती दादी माँ।

औरत-मर्द सब बाहर जाते,

घर में रहती दादी माँ।

मंदिर जैसे भगवान बिना,

घर जैसे बिन दादी माँ।

विश्वास को ऊँचा कर

विश्वास को ऊँचा कर

हर कदम बढ़ाऊंगा,

कैसा भी रस्ता हो

मंजिल मैं पाउँगा।

लाख मुश्किलों आएंगी

मैं फिर भी न घबराऊंगा,

हिम्मत बांधे अपनी मैं

बस आगे बढ़ता जाऊंगा।

नहीं रुकूँगा, नहीं थकूंगा

ऐसा मैं बन जाऊंगा,

अपने साथ ही अपने बड़ों का

मैं तो मान बढ़ाऊंगा।

ये धरती क्या एक दिन

आसमा पैरो पे झुकाउंगा,

सारी कायनात पर मैं

इस कदर छा जाऊंगा।

विश्वास को ऊँचा कर

हर कदम बढ़ाऊंगा,

कैसा भी रस्ता हो

मंजिल मैं पाउँगा।

कुदरत से सीखो जीना

कुदरत से सीखो जीना

कैसे खाना कैसे पीना

छोटी सी चिड़िया को देखो

दिनभर मेहनत करती हैं

छोटे छोटे दिनो दानों से वह

अपनो का पेट भरती है

कुदरत से सीखो जीना

कैसे खाना कैसे पीना

ऊंचे पेड़ों को देखो

छाया हमको देते है

तेज चटकते धूप को वह

अकेले ही सह लेते हैं

कुदरत से सीखो जीना

कैसे खाना कैसे पीना

Small Poem in Hindi

माह जनवरी छब्बीस को
हम सब गणतंत्र मनाते
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ॥

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया।
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया॥

क्या करना है और क्या नहीं ?
संविधान बतलाता।
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता॥

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